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1012 B
1012 B
वे दिन भर
“हर समय”
मेरे वचनों को, मरोड़ते रहते हैं
“वह कहते है कि यह मैने कहा है परंन्तू वह झूठ बोलते है”
उनकी सारी कल्पनाएँ मेरी ही बुराई करने की होती है
“वह हमेशा मेरी बूराई करते है और मेरे विरुध बुरी सोच रखते है”
वे मेरे कदमों को देखते भालते हैं
“जो कुछ मैं करता हूँ वह उसपे धयान रखते हैं”
मानो वे मेरे प्राणों की घात में ताक लगाए बैठे हों
“जैसे कि वह मुझे मारने का इन्जार कर रहे है”