hi_tn/psa/055/004.md

739 B

मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है

“मैं दुख भीग रहा हूँ क्‍योंकि मैं बहुत ड़रा हुआ हूँ”

मृत्यु का भय मुझ में समा गया है।

“मैं घबराया हुआ हूँ कि मैं मर जाऊँगा”

भय और कंपन ने मुझे पकड़ लिया है,

“मैं बहुत भय भीत हो गया हूँ और काँप रहा हूँ”

भय ने मुझे जकड़ लिया है।

“मैं अत्यंत ड़रा हुआ हूँ”