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तू उसकी संगति से प्रसन्‍न हुआ;

“तुने उनकी संगति की है”

“तूने अपना मुँह बुराई करने के लिये खोला

“तुम हमेंशा बुरा कहते हो”

तेरी जीभ छल की बातें गढ़ती है।

“तुम हमेशा झूठ बोलते हो”

तू बैठा हुआ अपने भाई के विरुद्ध बोलता; और अपने सगे भाई की चुगली खाता है।

इन दो वाक्यांशों का एक ही अर्थ है लेकिन अलग-अलग शब्दों का उपयोग किया गया है। परमेश्‍वर ने उन पर अपने ही परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठा बोलने का आरोप लगाया।

तू बैठा और बोलता है

“तूम हमेशा बोलने के तरीकों के बारे में सोचते हो"