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सामान्‍य जानकारी

यह भजन का अंतिम पद है। यह भजन संहिता की पहली किताब का समापन बयान है यह पुस्तक पहले भजन के पहले पद से लेकर 41 भजन के साथ समाप्त होती है

आदि से अनन्तकाल तक धन्य है

”अन्‍नत काल तक”

आमीन, फिर आमीन।

“निश्‍चय ऐसा ही हो”