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जो विचार तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं।

“हमारे विषय में तुम्हा‍रे विचारों की गिनती कोई भी नही कर सकता”

वह बहुत सी हैं;..... उनकी गिनती नहीं हो सकती।

इन वाक्यांशों का अर्थ अनिवार्य रूप से एक ही बात से है। पहले को नकारात्मक रूप में और दूसरे को सकारात्मक रूप में बताया गया है।

मेलबलि और अन्नबलि से तू प्रसन्‍न नहीं होता।

“बलीदान और भेटों से तू प्रसन्‍न नही होता”

तूने मेरे कान खोदकर खोले हैं।

“तूने मुझे तेरे हुकमों को सुनने के काबिल बनाया है”

होमबलि और पापबलि तूने नहीं चाहा।

"हमारे पापों के लिए वेदी पर चढ़ाए गए जानवर और अन्य चढ़ावा नहीं हैं जो आपको सबसे ज्यादा चाहिए"