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517 B

मैं मौन धारण कर गूँगा बन गया।

“मैं पूरी तरह शांत था”।

मैं चुप्पी साधे रहा आग भड़क उठी;

“मैं नही बोला”

मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर जल रहा था।

“जब मैने इन चीजों के बारे मे सोचा मैं बहुत चिन्‍तित हो गया”