hi_tn/psa/037/031.md

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परमेश्‍वर की व्यवस्था उसके \q हृदय में बनी रहती है,

"उसके परमेश्‍वर के आदेश उसके भीतर खजाने की तरह है“

उसके पैर नहीं फिसलते।

“वह सुरक्षित परमेश्‍वर के बताऐ हुए रास्‍ते पर चलेगा”

दुष्ट...धर्मी....दुष्ट

यह खास लोग नहीं है यह आम लोगों को दर्शता है।

धर्मी की ताक में रहता है।

“धर्मी मनुष्य के घात के इन्‍तजार में रहता है”

दुष्ट उसके हाथ में

“दुष्ट मनुष्य का बल”

जब उसका विचार किया जाए

“जब यहोवा उसका न्‍याय करेगा”