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जो उससे आशीष पाते हैं

“जिन लोगों को परमेश्‍वर आशिषित करता है”

वे तो पृथ्वी के अधिकारी होंगे।

“वह भुमी को अपनी संपत्ति के रुप में पाऐंगे”

जो उससे श्रापित होते हैं।

“जिनको परमेश्‍वर श्रापित करता है”

वे नाश हो जाएँगे।

दुष्टों के नाश को इस तरह कहा गया है जैसे कि वह पौधें की डालीयां हैं जो काट कर फेंक दी गई है”

मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है...उसके चलन से वह प्रसन्‍न रहता है;

"यदि एक आदमी यहोवा की दृष्टि में एक सराहनीय तरीके से रहता है, तो यहोवा उसके कदमों को स्थापित करेगा"

मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है।

“यहोवा ही है जो मनुष्‍य को सफलता के योग्‍या बनाता है”

मनुष्य

“यह किसी खास आदमी को नही दर्शाता परंन्‍तु आम लोगो को”

मनुष्य की गति

गती मनूष्‍य के जीवन शेली को दर्शाता है। ”मनुष्‍य के रहने की शैली”

चाहे वह गिरे तो भी पड़ा न रह जाएगा,

"हालांकि उसका कठिन समय चल रहा है, वह पूरी तरह से विफल नहीं होगा"

यहोवा उसका हाथ थामे रहता है।

“वह अपने बल से उसकी सुरक्षा करता है”