hi_tn/psa/033/010.md

2.2 KiB

सामान्य जाकारी

प्रत्येक वचन में दो पंक्‍तियाँ ऐसी हैं जिनके बहुत ही समान अर्थ होते हैं।

यहोवा व्यर्थ कर देता है

“यहोवा नाश कर देता है”

जाति-जाति की युक्ति को

“अलग अलग जातीयों के लोग की युक्‍तियाँ”

युक्ति

युक्ति एक ही दुशमन के विरुध एक दूसरे का सहारा बनने के लिए दो लोगो या जातीयो के मधय का सम्‍झोता है।

लोगों की कल्पनाओं

“लोगो के बुरी योजनायें”

सर्वदा स्थिर रहेगी

यहा पर “स्‍थिर” कहावत का अर्थ “सदा तीक” है।

मन की कल्पनाएँ

“उसके मन की योजनाऐं सदा तीक सब पीड़ीयो के लिऐ है”

उसके मन की कल्पनाएँ

”उसका मन” यहोवा को दर्शाता है। “उसकी योजनाऐं”

पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी।

“भविष्य की सबी पीड़ीयो के लिऐ”

क्या ही धन्य है वह जाति

“धन्‍या हैं वह जाती के लोग”

जिसका परमेश्‍वर यहोवा है,

“जो यहोवा को प्रमेशवर के समान पूजते है“

उसने अपना निज भाग

यहोवा ने अपनी आराधना के लिऐ चुने हूवे लोगों इस तरह बयान करता है जैसे कि वह उसके प्राप्त किये हुए निज भाग हैं।