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जिस पवित्र नाम से उसका स्मरण होता है, उसका धन्यवाद करो।

“स्‍मरण करो कि परमेश्वर ने क्या किया है, वह पवित्र है और उसका धन्‍यावाद करो”

क्योंकि उसका क्रोध, तो क्षण भर का होता है

“वह थोड़े ही समय के लिऐ गुस्‍सा करता है”

क्षण भर

“थोड़ा समय”

परन्तु उसकी प्रसन्नता जीवन भर की होती है*

“वह सदा हमारे साथ भला है”

कदाचित् रात को रोना पड़े, परन्तु सवेरे आनन्द पहुँचेगा।

हो सकता हे कि हम रात को रोये परँतू सवेरे को आनंद मनायेंगे”