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452 B

मार्ग ...अपना मार्ग।

यहाँ परमेश्‍वर की एक व्‍यक्‍ति के व्‍यहवार की अपेक्षा को इस तरह कहा गया है जैसे यह पथ और रासता है जिस पर व्‍यक्‍ति को चलना है।

नम्र लोग।

“वह जो नम्र है”