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स्मरण कर;

“याद कर”

अपनी दया और करुणा के कामों को।

"तुम्हारी वाचा के कारण तुम मेरे प्रति कितने दयालु और वफादार रहे हो"

वे तो अनन्तकाल से होते आए हैं।

“क्‍योकि तू अनन्‍तकाल से ही ऐसा है”

मेरी जवानी के पापों स्मरण न कर।

“मेरी जवानी के पापों के बारे में विचार मत कर”

मेरे अपराधों को।

“और इस बारे में कि मैने कैसे तेरे साथ बलवा किया”

मुझे स्मरण कर।

“मैरे बारे में सोच”

अपनी करुणा ही के अनुसार।

क्‍योकि तू अच्‍छा है, अपनी करुणा के अनुसार मुझ पर दया कर”