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568 B

तूने नम्र लोगों की अभिलाषा सुनी है

जब दबाए हुए लोग तुझे पुकारते हैं तू उनकी जरूरतों को सुनता है

तू उनका मन दृढ़ करेगा

तुम उन्हे प्रोत्साहित करता है

ताकि मनुष्य… फिर भय दिखाने न पाए।

“आगे से कोई किसी को नहीं डराएगा“