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547 B

मेरा न्याय चुका दे

उन्हे दिखा कि मैं दोषी नहीं हूँ।

धर्मी को तू स्थिर कर

“धर्मीओं को मजबूत कर” या “धर्मीओं को सफल बना”

क्योंकि धर्मी परमेश्‍वर मन और मर्म का ज्ञाता है

तू हमारे अन्दरूनी विचारों को जानता है।