hi_tn/pro/22/17.md

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सामानय जानकारी

आयत 17 में नीतिवचन की किताब के एक नए भाग का परिचय शुरू किया गया है।

कान लगाकर बुद्धिमानों को सुन,

यहाँ “कान” शब्द व्यक्ति के सुनने को दर्शाते है। लेखक किसी के ध्यान से सुनने की बात करता है कि वे आगे झुक कर बोलने वाले के करीब होकर सुन रहा था। जैसे कि “ध्यान से मेरी बात सुन मैं कया चीज करने को कह रहा हूँ“।(4:20)

बुद्धिमानों के वचन

“बुद्धिमान लोग कया कहते है”।

मन लगा

"समझने और याद करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करते हैं"।

मेरी ज्ञान

“ज्ञान मेरे पास है, जो मैं तुम्हारे साथ साझा कर रहा हूँ“।

वे सब तेरे मुँह से निकला भी करें

तुम किसी भी समय उनमें से बात करने में सक्षम हैं।

आज इसलिए ये बातें तुझको बताई है

"आज। हाँ, मैं तुम्हें सिखा रहा हूँ," कि यह श्रोता है, नहीं किसी और जिसे वह सिखा रहा है, और वह श्रोता सिखा रहा है क्योंकि सुनने वाले को जानने की जरूरत है।"