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मनुष्य मन में अपने मार्ग पर विचार करता है,

यहाँ “मन” शब्द में मन और विचारों को दर्शाता है। लेखक एक व्यक्ति के कार्यों की बात करता है कि अगर वे एक रास्ते पर चक रहा है जैसे कि “एक व्यक्ति अपने मन में योजना बनाता है कि वे कया करेगा”।

यहोवा ही उसके पैरों को स्थिर करता है

लेखक व्यक्ति की योजनाओं के परिणाम यहोवा निर्धारित करते है कि अगर यहोवा उस व्यक्ति को कहीं चलने को कहते है।

राजा के मुँह से दैवीवाणी निकलती है,

“राजा कहता है कि ये एक आकाशवाणी है”।

दैवीवाणी

परमेश्‍वर का निर्णय, दिव्य फैसला।

उसका मुँह न्याय करने में उससे चूक नहीं होती।

“मुँह” शब्द स्वंय राजे को दर्शाती है जैसे कि "जब वह निर्णय का उच्चारण करता है, तो वह धोखे से बात नहीं करता है"।