hi_tn/pro/15/15.md

857 B

दुःखियारे* के सब दिन दुःख भरे रहते हैं,

“दुःखियारे लोगों के सभी दिन दुखी है”।

वह मानो नित्य भोज में जाता है।

यह “मन” शब्द व्यक्ति को दर्शाता है।लेखक कहता है कि हसमुंख व्यक्ति जीवन का आनंद ले रहे है जैसे कि “उस व्यक्ति को एक दावत है मानों कि वे अंत नहीं मना रहे थे“।

नित्य भोज

“एक दावत जो कभी खत्म नहीं हो रही”।

घबराह़ट

"चिंता“।