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जब मुँह खोलूँगी

यहाँ “होठ” व्यक्ति के मुँह जो बोलता है उसे दर्शाता है जैसे कि “जब मेरा मुँह बोलने के लिए खुलता है”।

सीधी

“उचित”।

मैं मुँह से बोलता हूँ

यहाँ “मुँह” व्यक्ति के बोलने को दर्शाता है जैसे कि “मैं बोला”।

सच्चाई की बातों का

“कि लोगों को कया विश्वास करना चाहिए”।

दुष्टता की बातों से मुझ को घृणा आती है।

यहाँ “होठ” एक व्यक्त जो बोल रहा है उसकों दर्शाता है कैसे कि “कहते है कि दुष्ट बाते मेरे लिए घृणित है”।

दुष्ट

यह “दुष्ट” भाषण को दर्शाता है।