hi_tn/pro/05/13.md

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3मैंने अपने गुरूओं की बातें मानीं

यहाँ “कान” शब्द व्यक्ति के सुनने को दर्शाते है। लेखक किसी के ध्यान से सुनने की बात करता है कि वे आगे झुक कर बोलने वाले के करीब होकर सुन रहा था। जैसे कि “ध्यान से मेरी बात सुन मैं कया चीज करने को कह रहा हूँ“।(4:20)

मण्डली के बीच में पूर्णतः \q विनाश की कगार पर जा पड़ा।

इन दो वाक्यांशों में व्यक्ति और समुदाय को एक साथ इकट्ठा दर्शाया जाता है जैसे कि “परमेश्‍वर के दर्शन के लिए”।