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881 B

सामानय जानकारी:

“अशुद्ध“ का विचार परमेश्‍वर को स्‍वीकार्य नहीं है।

हर एक खुला हुआ पात्र, जिस पर कोई ढकना लगा न हो, वह अशुद्ध ठहरे।

यहां स्‍पष्‍ट रूप में कहा जा सकता है कि “खुले पत्र केवल तभी साफ रहेगे जब उन पर ढ़कन होगा“।

जो कोई मैदान में तलवार से मारे हुए को

यहां स्‍पष्‍ट रूप में कहा जा सकता है कि “जिसे किसी और ने तलवार से मार दिया हो”।