hi_tn/neh/10/28.md

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द्वारपाल,

लोगों को हर फाटक पर ठहराया गया,शहर और भवन में पहुँचने वालो पर नियंत्रन के उतरादायी है, इसके साथ फाटक को समय पर खोलते और बंद करते थे।

गवैये

सुरों के संगीतकार जो अराधना को चलाते थे, शोभा यात्रा और पर्वो पर संगीत देते थे और समागमो में गाते थे।

जितने परमेश्‍वर की व्यवस्था मानने और समझनेवाले थे,

“सब जो बड़े और समझने वाले थे कि परमेशवर कि आज्ञा मानने का क्‍या अर्थ है।”

अपने भाई रईसों से

“उनके भाई और रईस लोग”

मिलकर शपथ खाई, कि हम परमेश्‍वर की उस व्यवस्था पर चलेंगे

“उन्‍होने शपध खाई, कि यदि हम व्‍यवस्‍था पर न चल पाऐ तो हमारे ऊपर श्राप आ जाऐ।”

व्यवस्था पर चलेंगे

“परमेशवर की व्‍यावस्‍था के अनुसार जीऐंगे”

जो उसके दास मूसा के द्वारा दी गई है,

“जो परमेश्वर के दास मूसा के द्वारा इस्राएल को दी गयी थी”

चौकसी करेंगे।

“पालन करना”