hi_tn/neh/07/01.md

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जब शहरपनाह बन गई

"जब हमने शहरपनाह को बना दिया था”

मैंने उसके फाटक खड़े किए,

“जब मैंने और दूसरों ने दरवाजों को लगा दिया था”

द्वारपाल, और गवैये, और लेवीय लोग ठहराये गए,

“उन्‍होने द्वारपाल और गवैये और लेवीयों को उनके काम अनुसार ठहराया”

द्वारपाल,

लोगों को हर फाटक पर ठहराया गया, शहर और भवन में पहुँचने वालो पर नियंत्रन के जिम्मेदार है, इसके साथ फाटक को समय पर खोलते और बंद करते थे

गवैये

सुरों के संगीतकार जो आराधना को चलाते थे, शोभा यात्रा और पर्वो पर संगीत देते थे और समागमो में गाते थे।

हनानी… हनन्याह

यह पुरुषों के नाम है।

मैंने अपने भाई हनानी को अधिकारी ठहराया

“मैने अपने भाई कौ प्रबंधक बनाने की आज्ञा दी”

राजगढ़ के हाकिम

“जो राजगढ़ का हाकिम था”

राजगढ़

“किला”

बहुतेरों से अधिक परमेश्‍वर का भय माननेवाला था।

“ओर लोगों से ज्यादा परमेशवर का भय मानता था”