hi_tn/neh/04/04.md

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हे हमारे परमेश्‍वर सुन ले...उन्होंने तुझे शहरपनाह बनानेवालों के सामने क्रोध दिलाया है।

"तब मैंने प्रार्थना की, “ हे हमारे परमेश्‍वर , सुनो…क्‍योंकि उन्‍होने‍ शहरपनाह बनाने वालों का क्रोध उकसाया है”

हे हमारे परमेश्‍वर सुन ले, कि हमारा अपमान हो रहा है;

“सुनो, हमारे परमेश्‍वर , क्‍योंकि हमारे विरोधी हामारा अपमान कर रहे है”

उन्हें बँधुआई के देश में लुटवा दे।

“उनके दुश्मन उन्‍हे लूट ले”

उनका किया हुआ अपमान उन्हीं के सिर पर लौटा दे

“उनका अपमान उनके सिर के ऊपर डाल दे”

उनका अधर्म तू न ढाँप,

“उन्‍हे माफ मत करना”

न उनका पाप तेरे सम्मुख से मिटाया जाए;

“उनके पापों को भूलना मत”

उन्होंने तुझे शहरपनाह बनानेवालों के सामने क्रोध दिलाया है

“उन्‍होने शहरपनाह बनाने वालों को क्रोध दिलाया”

इस लिऐ हमने शहरपनाह को बनाया;

“इस लिऐ हमने दीवार को बनाया है”

सारी शहरपनाह आधी ऊँचाई तक जुड़ गई।

“हमने दीवार को एक साथ जोड़ दिया और यह इसकी पूरी ऊँचाई से आधा था”

आधी ऊँचाई तक

“आधी” अत: दो समान हिस्‍सो में से एक हिस्‍सा”