यीशु को बन्दी बनाकर महायाजक के समक्ष लाया गया है।
यीशु की बात सुनकर क्रोधित होने का संकेत- निन्दा समझा।
"महासभा के सब सदस्यों ने यीशु को दोषी ठहराया।"