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वे अपने मुँह को हाथ से छिपाएँगी, और उनके कान बहरे हो जाएँगे।

यह दर्शाता हैं की वह कितना घबरा गये हैं की कोई उतर भी नही दे पा रहें।

वे सर्प के समान मिट्टी चाटेंगी*, और भूमि पर रेंगनेवाले जन्तुओं की भाँति

दोनों वाक्यांशों का मतलब एक ही बात है। परमेश्‍वर के शत्रु पूरी तरह से अपमानित होंगे और भयभीत होकर उसके पास आएंगे जब वे उसके द्वारा की गई शक्तिशाली कामो को देखेंगे।