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यीशु शिष्यों के सामने बच्चों का उदाहरण ही रख रहा है।

तुच्छ न जानना

तुच्छ जानना , "प्रबल घृणा करना" या "महत्त्वहीन समझना"

उनके दूत

"बच्चों के स्वर्गदूत"

मुँह सदा देखते हैं

"सदैव निकट रहते हैं"।