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(यीशु अपने चेलों से ही बातें कर रहा है)
परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुख उठाए
“परन्तु मनुष्य के पुत्र को पहले पीड़ित होना आवश्यक है” यीशु स्वयं को तृतीय पुरूष में संबोधित कर रहा है।
जैसा नूह के दिनों में हुआ था
इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “नूह के दिनों में मनुष्य का जैसा जीवन था” या “नूह के जीवनकाल में जैसा लोग करते थे”। “नूह के दिनों में” अर्थात उस समय से पूर्व जब परमेश्वर ने संसार को दण्ड दिया था।
वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा
इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मनुष्य के पुत्र के समय भी लोग ऐसा ही जीवन जी रहे होंगे”। या “जब मनुष्य के पुत्र को पुन आगमन का समय होगा तब मनुष्यों का जीवन आचरण वैसा ही होगा”। “मनुष्य के पुत्र के दिनों में जब मनुष्य का पुत्र आनेवाला होगा।
लोग खाते-पीते थे, और उनमें विवाह होते थे
वे सामान्य जीवन जी रहे थे और परमेश्वर के आने वाले दण्ड की उन्हें चिन्ता नहीं थी।
जहाज़
“बड़ी नाव”