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यीशु ने कहा

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यीशु ने जनसमूह से कहा” यीशु ने .... उसके प्रतिक्रिया दिखाते हुए जनसमूह से कहा।

क्या दसों शुद्ध न हुए?

यह तीन आलंकारिक प्रश्नों में से कहता है। यीशु ने इन प्रश्नों द्वारा जनसमूह में विस्मय और निराशा प्रकट की कि दस में से एक ही परमेश्वर की स्तुति करने लौटा। इसका अनुवाद हो सकता है, “दस कोढ़ी रोग-मुक्त किए गए थे” या “परमेश्वर ने दस को रोगमुक्त किया है”

नौ कहाँ हैं?

इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद किया जा सकता है, “अन्य नौ को भी तो आना था” या “अन्य नौ क्यों नहीं लौटे”?

क्या इस परदेशी को छोड़कर कोई और न निकला जो परमेश्वर की बड़ाई करता?

इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “इस विजातीय पुरूष की अपेक्षा परमेश्वर की स्तुति के लिए अन्य कोई नहीं है? या “दस पुरूष रोगमुक्त किए गए परन्तु केवल यह परदेशी परमेश्वर की स्तुति करने लौटा है” या “क्या यह सब हो सकता है कि इस परदेशी पुरूष के अतिरिक्त परमेश्वर की स्तुति के लिए अन्य कोई नहीं लौटा”?

इस परदेशी

सामरियों के पूर्वज गैरयहूदी थे और उनकी परमेश्वर की आराधना विधि यहूदियों से भिन्न थी।

तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है

“तेरे विश्वास के कारण तेरा रोग दूर हुआ है” यहाँ विश्वास को क्रिया रूप में अनुवाद किया जा सकता है, “क्योंकि तू विश्वास करता है इसलिए तू रोग-मुक्त हो गया है”