hi_tn/luk/15/06.md

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(यीशु वही शिक्षाप्रद कथा सुना रहा है)

और घर में आकर

“जब वह चरवाहा घर पहुंचता है” या “जब तुम घर पहुंचों” (यू.डी.बी.) भेड़ के मालिक को वैसे ही संबोधित करें जैसे आपने पिछले पद में किया है।

मैं तुझ से कहता हूँ

यहाँ “मैं” यीशु के लिए है। वह जनसमूह से बातें कर रहा है इसलिए “तुम” शब्द बहुवचन में है।

इसी रीति से

“इसी प्रकार” या “जैसे वह चरवाहा ओर उसके मित्र एवं पड़ोसी उसके साथ आनन्द करते हैं”।

स्वर्ग में ऐसा ही आनन्द होगा

“स्वर्ग में हर एक प्राणी आनन्द करेगा”

निन्यानवे ऐसे धर्मियों.... जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं

“निन्यानवे मनुष्य जो सोचते हैं कि वे धर्मी हैं और उन्हें मन परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। “यीशु के कहने का अर्थ यह नहीं है कि कोई धर्मी जन है। इसकी अपेक्षा वह अर्थालंकार काम में ले रहा है या जिसे कटाक्ष कहते हैं क्योंकि उसके श्रोता स्वयं को धर्मी समझते थे जबकि वे थे नहीं।