hi_tn/luk/10/05.md

2.5 KiB

x

(यीशु उन सत्तर मनुष्यों को निर्देश दे रहा है जिन्हें वह भेजने पर है)।

इस घर का कल्याण हो

“इस परिवार को शान्ति मिले” यह अभिवादन और आशीर्वाद दोनों है।

कोई कल्याण के योग्य

“शान्तिप्रिय मनुष्य” ऐसा मनुष्य परमेश्वर के साथ और मनुष्यों के साथ मेल करता है।

तुम्हारा कल्याण उस पर ठहरेगा

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “आपका आशीर्वाद उसे शान्ति दिलाएगा”

नहीं तो

“यदि वहां कोई शान्तिप्रिय नहीं है” या “यदि गृहस्वामी शान्तिप्रिय नहीं है”

तुम्हारे पास लौट आएगा

“वह शान्ति तुम्हारे पास ही रह जाएगी”

उसी घर में रहो

इसका अनुवाद इस प्रकार हो सकता है, “वहीं रातें बिताना” यीशु के कहने का अर्थ है कि दिन भर प्रचार करके वहीं “लौट आना, यह नहीं कि उस घर से बाहर नहीं जाना।

मजदूर को अपनी मजदूरी मिलनी चाहिए।

यीशु एक सामान्य सिद्धान्त अपने द्वारा भेजे जाने वालों पर लागू कर रहा था। क्योंकि वे उनको शिक्षा देंगे और रोगियों को रोगमुक्ति प्रदान करेंगे इसलिए उनके ठहरने और भोजन-पानी का उत्तरदायित्व उन लोगों का है।

घर-घर न फिरना

इसका अर्थ है कि हर रात एक नये परिवार में नहीं ठहरना।