hi_tn/luk/07/41.md

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(यीशु ने शमौन फरीसी को क्षमा प्राप्त मनुष्यों की एक कहानी सुनाई।)

किसी महाजन के दो देनदार थे।

"एक महाजन के दो ऋणी थे"

पांच सौ दीनार

“पांच सौ दिन की मजदूरी” अर्थात एक "दीनार" प्रति दिन

पचास दीनार

"पचास दिन की मजदूरी"

पटाने को कुछ न रहा

“ऋण चुकाने के लिए कुछ न था”

उसने दोनों को क्षमा कर दिया।

उसने उनके ऋण क्षमा कर दिए।

मेरी समझ में

शमौन ने बड़ी सावधानी से उत्तर दिया था। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “संभवतः ....”

तूने ठीक विचार किया है

“तू सही कहता है”