hi_tn/luk/06/27.md

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(स्पष्ट है कि यीशु जनसमूह से बाते कर रहा है जिनमें वे थे जो उसके शिष्य नहीं)

प्रेम रखो ...... भला करो ..... आशीष दो.... प्रार्थना करो

इनमें से प्रत्येक आज्ञा को करते रहना है, न कि एक बार करके समाप्त कर दो।

अपने शत्रुओं से प्रेम रखो

“अपने बैरियों की सुधि लो” या “अपने बैरियों के लिए जो भला है वह करो”।

जो तुम्हें श्राप दे

“जिनमें तुम्हें श्राप देने का स्वभाव है”

जो तुम्हारा अपमान करें

“जिनमें तुम्हारा अपमान करने का स्वभाव है”