वह याजक तब शुध्द माना जाएगा, और वह व्यक्ति परमेश्वर के कार्य के योग्य होगा जब वह शारीरक रूप से अशुध्द हो।
अर्थात अगर किसी को कोई मरा हुआ जानवर मिले या कोई जंगली जानवर मारा गया हो।