hi_tn/lam/05/01.md

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सामान्य जानकारी

एक नई कविता शुरू होती है

स्मरण कर

“इसके बारे में सोच”

हमारी ओर दृष्टि करके हमारी नामधराई को देख

“हमारे शर्मिन्दगी भरे हालातों को देख‘

हमारा भाग परदेशियों का हो गया और हमारे घर परायों के हो गए हैं

तूने हमारी संपत्ति बाहरी लोगों को दे दी है

हमारे घर परायों के हो गए हैं

तूने पराए लोगों हमारे घर लेने की अनुमति दी है

हम अनाथ… हमारी माताएँ विधवा सी हो गई हैं

यरूशलेम के लोगों की सुरक्षा करने वाला कोई नहीं बचा क्योंकि उनके पुरूष या तो युद्ध में मारे गये हैं या बन्दी बना लिये गये हैं

हम मोल लेकर पानी पीते हैं

हमें अपना ही पानी हमारे दुश्‍मनों को चाँदी देकर मोल लेना पड़ रहा है

हमको लकड़ी भी दाम से मिलती है

हमारे दुश्‍मन हमें हमारी ही लकड़ी बेच रहे हैं