यह उस समय को दर्शाता है जिसमें लेखक ने यह पुस्तक लिखी थी।
इस वाक्य में कहा जा सकता है की इस्राएलियों ने इन लोगों को दास के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया।