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986 B
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उसके मुँह से जलते हुए पलीते निकलते हैं, और आग की चिंगारियाँ छूटती हैं
उसके मुँह से जलती हुई तरंगे निकल रही थी मानो जैसे लग रहा हो कि आग निकल रही थी। “परमेश्वर इन दोनो वाक्यो मे लेवियो की भयानक स्थीति को दर्शाते है”।
आग की चिंगारियाँ छूटती
दोनो ही धुआ और उबलता हुआ बर्तन बहुत गरम थे।
नथनों
नाक के दोनो छेद खुले थे।
साँस से कोयले सुलगते
आग पकड़ने के लिए अंगारो का कारण बनता है।