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वे जो मन ही मन भक्तिहीन

यह शब्द “दिल” एक व्यक्ति को भावनाओ को सोचने के लिए दर्शाता है। कि “क्या तुम्हे परमेश्‍वर पर विश्‍वास है”।

भक्तिहीन होकर क्रोध बढ़ाते

एलीहू गुस्से मे रहने वाले एक व्यक्ति की बात करता है कि उसने अपना क्रोध ऐसे जमा कर लिया है जैसे कोई व्यक्ति खाजाना इक्ट्ठा करता हो “वह हमेशा नाराज रहता है”।

तब भी दुहाई नहीं देते

एलीहू लोगो को अनुशासन मे रहने के लिए कहता है कि मानो परमेश्‍वर ने उन्हे रस्‍सियो के सामान बाँधने को है। कि “जब परमेश्‍वर उन्हे सजा देता है”।

उनका जीवन लुच्चों के बीच में नाश होता है

“वह परमेश्‍वर से दूर होकर शर्म मे मर जाते है”।