forked from WA-Catalog/hi_tn
1.3 KiB
1.3 KiB
फिर एलीहू
“तब, एलीहू”।
एलीहू
यहाँ आँखो की दृष्टि से यह दर्शाया गया है कि “वह संवय को धर्मी मानता था”।
हे बुद्धिमानों! मेरी बातें सुनो
“सुनो मै क्या कहता हूँ”।
बुद्धिमानों…हे ज्ञानियों
एलीहू ने अय्यूब और उसके मित्रो की आलोचना की “वह वास्त्व मे बुद्धिमान नही लगता”।
क्योंकि जैसे जीभ से चखा जाता है, वैसे ही वचन कान से परखे जाते हैं
एलीहू यह ध्यान से सुनने को दर्शाता है कि यह सही या गलत नही है कि तुमने उस भोजन को चखा। यहाँ यह लोगो के सुने को दर्शाता है कि “इन शब्दो को सुणे से हमे अच्छे और बुरे का पता चल जाता है“।