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सामानय जानकारी:

अय्यूब उन परिस्थितियों का वर्णन करता है जिनमें वह परमेश्‍वर की सज़ा के लायक होगा, लेकिन वह जानता है कि वे सच नही है।

यदि मेरे डेरे के रहनेवालों ने यह न कहा होता, ‘ऐसा कोई कहाँ मिलेगा, जो इसके यहाँ का माँस खाकर तृप्त न हुआ हो?

मेरे आदमी हर समय वहा पर रहते थे क्योकि हर कोईइ जानता था कि अय्यूब को भोजन करना बहुत जरूरी है।

परदेशी को सड़क पर टिकना न पड़ता था; \q मैं बटोही के लिये अपना द्वार खुला रखता था

अय्यूब सच कहता है कि “यात्रियो को कभी भी सड़क पर नही सौना पड़ा मैने हमेशा उनका स्वागत अपने घर मे किया।