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सामानय जानकारी:

अय्यूब उन परिस्थितियों का वर्णन करता है जिनमें वह परमेश्‍वर की सज़ा के लायक होगा, लेकिन वह जानता है कि वे सच नही है।

परन्तु मैंने न तो उसको श्राप देते हुए, और न उसके प्राणदण्ड की प्रार्थना करते हुए अपने मुँह से पाप किया है

अय्यूब बता रहा है कि उसने सचमुच उन लोगो के साथ कैसा व्यवहार किया जिनसे वह नफरत करने लगे “वास्तव मे मै भी उनके जीवन को शाप देने का कारण हूँ।