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जैसे लोग बरसात की, वैसे ही मेरी भी बाट देखते थे

लोग धैर्य से अय्‍यूब की प्रतीक्षा करते थे और अच्छी बातें सुनने की उम्मीद रखते थे।

जैसे बरसात के अन्त की वर्षा के लिये वैसे ही वे मुँह पसारे रहते थे

"वे बेसबरी से मेरे बोलने का इंतजार करते थे ताकि मेरे बोलने से उन्‍हे लाभ हो जाये।”

जैसे बरसात के अन्त की वर्षा के लिये

“जैसे किसान बरसात के अन्त की वर्षा का बेसबरी से इंतजार करता हैं।”

बरसात के अन्त की वर्षा

यह भारी बरसात को दर्शाता है जो सुखे से पहले गिरती हैं।

तब मैं हँसकर उनको प्रसन्‍न करता था

"मैं उनको उत्‍साहीत करने के लिए उन पर मुस्कुराया।"

मेरे मुँह

यह उस दया को दर्शाता है जो उन्होंने अय्यूब के चेहरे में देखी थी।