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सामान्‍य जानकारी:

आयत १८-२० में अय्यूब उन चीजों के बारे में बताता है जो वह बुरी बातें जो उसके साथ हुई हैं इसके होनें से पहले कहता था।

मैं कुटिल मनुष्यों की डाढ़ें तोड़ डालता...उनका शिकार उनके मुँह से छीनकर बचा लेता था

"मैंने अधर्मीयों को लोगों को सतानें से रोका, जैसे कोई व्यक्ति जो किसी जंगली जानवर के जबड़े को तोड़ता है और उसके शिकार को उसके दांतों के बीच से छुड़ाता हो।"

अपने ही बसेरे में मेरा प्राण छूटेगा

"मैं अपने परिवार के साथ घर पर मर जाऊंगा।"

तब मैं सोचता था, ‘मेरे दिन रेतकणों के समान अनगिनत होंगे

"मैं बहुत लंबे समय तक जीवित रहूंगा" या "मैं कई वर्षों तक जीवित रहूंगा।"

मेरी जड़...मेरी डालीयां

अय्यूब अपनी ताकत के बारे मे ऐसे बोलता था जैसे कि वह एक पानीयों के किनारे लगे पेड़ की तरह मज़बूत हो।