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फिर बुद्धि कहाँ मिल सकती है? और समझ का स्थान कहाँ?
"मैं तुम्हें बताऊंगा कि ज्ञान और समझ कहाँ से आतें है।“
फिर बुद्धि कहाँ मिल सकती है
"फिर लोग कैसे बुद्धिमान बन सकते हैं"
और समझ का स्थान कहाँ?
"लोग कामों को समझना कैसे सीख सकतें हैं।"
वह सब प्राणियों की आँखों से छिपी है
"कोई जीवित प्राणि ज्ञान को नहीं देख सकता।"
और आकाश के पक्षियों के देखने में नहीं आती।
"और यहां तक कि आसमान में उड़ने वाले पक्षी भी ज्ञान को नहीं देख सकते।"
विनाश और मृत्यु कहती हैं
यहां "विनाश" और "मृत्यु" अधोलोक की जगह पर इसतीमाल किऐ गये हैं। वे ऐसे बोले जाते हैं जैसे कि वे लोग थे जो बोल सकते थे।