hi_tn/job/28/12.md

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सामान्‍य जानकारी:

२८: १२-२८ में, ज्ञान और समझ की बात की जाती है जैसे कि वे कीमती वस्तुएं हैं जो किसी जगह पर हैं और लोग उन्हें ढूंढना चाहते हैं। ज्ञान और समझ पाना बुद्धिमान बनने को दर्शाता है और चीजों को अच्छी तरह से समझना सीखाता है।

परन्तु बुद्धि कहाँ मिल सकती है? और समझ का स्थान कहाँ है?

"लेकिन ज्ञान और समझ पाना बहुत कठिन है।"

परन्तु बुद्धि कहाँ मिल सकती है? और समझ का स्थान कहाँ है?

लोग कैसे बुद्धिमान बनते हैं? लोग कामों को अच्छी तरह से समझना कैसे सीखते हैं?

उसका मोल मनुष्य को मालूम नहीं

"लोग नहीं जानते कि ज्ञान और समझ कितनी बहुमुल्‍य है।"

जीवनलोक में वह कहीं नहीं मिलती!

अत: "और कोई भी इस दुनिया में ज्ञान नहीं पा सकता है"

अथाह सागर कहता है, ‘वह मुझ में नहीं है, और समुद्र भी कहता है, ‘वह मेरे पास नहीं है।

"बुद्धि पृथ्वी के नीचे गहरे पानी में नहीं है, न ही समुद्र में है।"