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तो भी भक्तिहीन मनुष्य की क्या आशा रहेगी...जब परमेश्‍वर भक्तिहीन मनुष्य का प्राण ले ले

“भक्तिहीन मनुष्य के लिए कोई आशा नही जब परमेंश्‍वर कब उसकी आतमा निकाल ले।”

जब परमेश्‍वर प्राण ले ले,

"जब परमेंश्‍वर उसे काट देता है और उसकी जान ले लेता है।"

मनुष्य का प्राण ले ले,

"उसे मार दो"

जब वह संकट में पड़े, तब क्या परमेश्‍वर उसकी दुहाई सुनेगा?

"जब मुसीबत आती है तो परमेंश्‍वर उसका रोना नहीं सुनेंगे।"

तब क्या परमेश्‍वर उसकी दुहाई सुनेगा

"क्या परमेश्‍वर उसकी दुहाई का जवाब देगा"

क्या वह सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर में सुख पा सकेगा, और हर समय परमेश्‍वर को पुकार सकेगा?

"वह खुद को सर्वशक्तिमान के कामों से खुश नहीं कर सकेगा और ना हर समय परमेंश्‍वर को पुकार सकेगा।"