hi_tn/job/24/15.md

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पिछले वचनों के आधार पे

अय्‍यूब बोलना जारी रखता है।

व्यभिचारी यह सोचकर

"व्यभिचारी"

दिन डूबने

"सूर्यास्त के लिए।"

कि कोई मुझ को देखने न पाए

"कोई मुझे नहीं देखेगा।"

वे घरों में सेंध मारते

"दुष्ट लोग उनसे चोरी करने के लिए घरों में सेंध मारते हैं"

वे छिपे रहते हैं

"वे अंदर छिपते हैं।"

क्योंकि उन सभी को भोर का प्रकाश घोर \q अंधकार सा जान पड़ता है,

घोर अंधेरा दुष्टों के लिए उतना ही आरामदायक होता है जितना सुबह की रोशनी आम लोगों के लिए।

घोर अंधकार का भय

"रात में होने वाली डरावनी बातें"