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पिछले वचनों के आधार पे
अय्यूब अपने मित्रों से बातें करना जारी रखता हैं।
देखो, उनका कुशल उनके हाथ में नहीं रहता
"देखो, ये दुष्ट लोग दावा करते हैं कि वे खुद को सफल बनाते हैं!"
कितनी बार ऐसे होता है...उन पर विपत्ति आ पड़ती है
"यह अक्सर नहीं होता है ... की विपत्ति उन पर आती है।"
दुष्टों का दीपक बुझ जाता है
"परमेंश्वर उन्हें अचानक मार देता है।"
दुष्टों का दीपक
अय्यूब दुष्टों के जीवन की तुलना जलते हुए दीपक से करता है।
कितनी बार ऐसे होता है...परमेश्वर क्रोध करके
“यह अक्सर नहीं होता है....उसके गुस्से में।”
कितनी बार ऐसे होता है...बवण्डर से उड़ाई हुई भूसी के समान होते हैं
“यह अक्सर नहीं होता है...की बवण्सर उडा दे।”
वे वायु से उड़ाए हुए भूसे की, और बवण्डर से उड़ाई हुई भूसी के समान होते हैं
"परमेंश्वर उन्हें ऐसे बहा ले जाता है, जैसे हवा का झोंका भूसी को।"