hi_tn/job/15/12.md

2.2 KiB

तेरा मन क्यों तुझे खींच ले जाता है?

“तूं अपनी भावनाओं को अपने निर्णयों का मार्गदर्शन करने की अनुमति क्यों देता हैं?

तू आँख से क्यों इशारे करता है?

"तेरी आँखें गुस्से में क्यों दिखती हैं।"

अपनी आत्मा परमेश्‍वर के विरुद्ध

"अपने आप को मोडो।"

अपने मुँह से व्यर्थ बातें निकलने देता है

"और इसलिए तूं उसके खिलाफ कठोर बातें कहता हैं।"

मनुष्य है क्या...जो स्त्री से उत्‍पन्‍न हुआ

ये दो प्रशन मूल रूप से एक ही हैं और इनका इस बात पर जोर देने के लिए एक साथ उपयोग किया जाता है की एक व्यक्ति परिपूर्ण नहीं हो सकता।

मनुष्य है क्या कि वह निष्कलंक हो?

"एक मनुष्य पूरी तरह से शुद्ध नहीं हो सकता।"

निष्कलंक

एक व्यक्ति जिसे परमेंश्‍वर आत्‍मिक रूप से स्वीकार्य करता है उसकी बात की जा रही है जैसे कि वह व्यक्ति की शारीरिक रूप से स्वच्छ होने की बात हो।

जो स्त्री से उत्‍पन्‍न हुआ वह है क्या कि निर्दोष हो सके?

"एक मनुष्य जो एक स्त्री से पैदा होता है वह पूरी तरह से धर्मी नहीं हो सकता है।"