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सामान्य जानकारी:

हर एक कविता एक समानता है जिसमें दो बयानबाजी वाले प्रशन शामिल हैं।

क्या पहला मनुष्य तू ही उत्‍पन्‍न हुआ?

"तूं पहला मनुष्य नहीं था जो पैदा हुआ था।"

क्या तेरी उत्पत्ति पहाड़ों से भी पहले हुई?

"तुझे पहाड़ियों से पहले अस्तित्व में नहीं लाया गया था"

क्या तेरी उत्पत्ति

"क्या परमेंश्‍वर तुझे ले आया।"

क्या तू परमेश्‍वर की सभा में बैठा सुनता था?

“तुनें परमेंश्‍वर का गुप्त ज्ञान नहीं सुना है।"

क्या बुद्धि का ठेका तू ही ने ले रखा है

“केवल तूं ही बुद्धिमान व्यक्ति नहीं हैं।"

तू ऐसा क्या जानता है जिसे हम नहीं जानते?

“ऐसा कुछ भी नही हैं जो तूं जानता हो और हम नही।”

तुझ में ऐसी कौन सी समझ है जो हम में नहीं?

“जितनी समझ तुझमें है उतनी हमें भी हैं”।