hi_tn/job/15/04.md

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मानना छोड़ देता

“रद्द करना“

छुड़ाता

"रोकता।"

भक्ति करना

"ध्यान मनन।”

तू अपने मुँह से अपना अधर्म प्रगट करता है

"तेरा अधर्म एक शिक्षक की तरह है और मुंह उसके छात्र जैसा है"

अपने मुँह

"आप बोलने के लिए" या "आप जो कहते हैं वह कहने के लिए

धूर्त लोगों के बोलने की रीति पर बोलता है।

"एक चालाक आदमी की तरह बोलता हैं"

धूर्त

“धोखेबाज।”

मैं तो नहीं परन्तु तेरा मुँह ही तुझे दोषी ठहराता है

“तूं अपनी ही बातों में फसकर दोषी ठहरता है ना कि मेरी कही हुई बातों से।”

तेरे ही वचन तेरे विरुद्ध साक्षी देते हैं

“तेरे अपने ही शब्‍द।”